Lata Mangeshkar Apne Khud Ke Shabdon Mein (Hindi)
P**A
Its superb
I really liked the quality of paper and its printing
A**S
एक बेहतरीन आत्मकथा.. इस किताब को जरुर पढ़े।
नसरीन मुन्नी जी की लिखी हुई यह किताब लता जी के साथ उनकी बातचीत पर आधारित है, जिसमें उन्होनें ना सिर्फ़ अपने जिन्दगीं के उन बीते लम्हों के बारे में बताया है, बल्कि उनसे जुड़ी हुई जो भ्रामक बातें सोशल मीडिया पे सुनने को मिलती है, उनका भी खंडन किया हैं।उनकी बचपन के दिनो से लेकर पिता की अकाल मृत्यु के बाद का संघर्ष, कोल्हापुर से बोम्बै तक का सफर, फिल्म इंडस्ट्री में उनका आना और फिर एक के बाद एक असाधारण संगीत की सृस्टि, बिश्य के महान संगीतकारौ के साथ उनका अनुभब आपको एक अलग ही दुनिया में ले जायेगा।इस किताब में उन सब लोगों की टिप्पणियाँ भी समाबेशित हैं, जिसमे उनके परिबार के सदस्य जैसे बहन उषा मंगेशकर, उनके भाई हृदयनाथ मंगेशकर, भान्जी रचना शह के साथ ही साथ भारतीय कला, संगीत और सहित्य के प्रमुख हस्तियाँ जैसे जाबेद अख्तर, नौशाद अली, यश चोपरा, किशोर कुमार, मन्ना डे प्रमुख, जिहोंने लता जी से अपने रिश्तों की ब्याख्या की है और उनकी शख्सियत तथा गायन के बारे में अपने बिचारों को बर्णित किया है।इस आत्मकथा में आपको उनको बाल्यावस्था से लेकर अभी तक के सफर की एक झलक मिलेगी। लता जी उन चुनिंदा गायकों से हैं, जिन्होने फिल्मी गायन का बिबर्तन देखा हैं। इसीलिए आपको इसमे किशोर कुमार, मन्ना डे जैसे महान गायको के साथ ही कविता कृष्णामूरथी और ए आर रहमान जैसे आधुनिक गायको के भी करीबी से जानने का मौक़ा मिलेगा।आपको इस किताब सें जीबन में आगें बढ़ने के कुछ महत्यपुर्ण सुझाब मिलेंगे, जौ आपको जिन्दगीं मे आगें बढ़ने की प्रेरणा देगी।
A**A
कभी न खरीदें, सबसे घटिया किताब
मैंने अपने जीवन में जो सबसे घटिया किताब पढ़ी वो यही है। इसकी कीमत इतनी ज़्यादा क्यों है ये समझ नहीं आया। मैं इसे पढ़कर इतना ज़्यादा irritate हुआ कि मैंने प्रकाशक को ईमेल कर दिया जो इस प्रकार है -नमस्कार,बहुत उत्साह के साथ आपकी किताब "लता मंगेशकर अपने ख़ुद के शब्दों में" खरीदी।हालाँकि ओरिजिनल किताब अंग्रेज़ी में है लेकिन मैंने उसका हिंदी अनुवाद खरीदा, और आपको ये बताना चाहता हूँ कि मुझे और मेरे जैसे अन्य पाठकों को आपने ठगा है। हिंदी अनुवाद की कीमत मूल किताब से ज़्यादा क्यों है? इसका कोई भी कारण मुझे समझ नहीं आया। उससे कोई दिक्कत भी नहीं होती अगर अनुवाद अच्छा होता। मैंने अपने जीवन में इससे घटिया और बेहूदा अनुवाद नहीं पढ़ा। क्या आपने किसी भी राह चलते व्यक्ति को उठाकर उससे अनुवाद करवा लिया है? कौन है ये 'डी श्याम कुमार'?इस व्यक्ति ने आपको ठगा और आपने हमें। क्या आपको पता है कि इसने गूगल की सहायता से ये अनुवाद किया है?साक्षात्कार में एक लय होती है, उसे बोलचाल की भाषा में ही दिया जाता है, ये किताब इतनी उबाऊ और नीरस है कि हर एक पन्ना पढ़ने के बाद प्रकाशक को गालियाँ भेजने का मन कर रहा था, इसीलिए आपको मेल किया है।किताब खरीद ली लेकिन अब किया क्या जा सकता है? अगली बार आपको अनुवाद करवाना ही हो तो कृपया मुझसे करवा लीजिए, मैं मुफ़्त करूँगा।
R**H
Very good book 📚📖.
Good material product item. Thank you. Jai Hind 🇮🇳
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1 day ago
2 weeks ago